रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा कि ‘एफएओ का समग्र चावल मूल्य सूचकांक जुलाई में एक महीने की तुलना में 2.8 प्रतिशत उछलकर औसतन 129.7 अंक पर पहुंच गया। यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 20% अधिक है, और सितंबर 2011 के बाद से यह चावल की सबसे बड़ी मात्रा है। आपको बता दें चावलों का दाम पूरे 12 वर्षों के बाद ही इतना आया है इससे पहले चावलों का दाम इतना कभी भी नहीं बढ़ा है।
आखिर क्यों बढ़ रही हैं चावल की कीमत?
चावल की कीमतें कई कारणों से बढ़ रही हैं। इसका एक उदाहरण चावल की उच्च माँग है। भारत के निर्यात निषेध के परिणामस्वरूप चावल की ग्लोबल माँग सीमित हो गई है। इसका एक प्रमुख
कारण विभिन्न चावल उत्पादक देशों में अनियमित मौसम की स्थिति के कारण कम उपज है। जिसके चलते आपूर्ति और भी कम हो गई है। इसके अलावा, भारत ने हाल ही में गैर-बासमती चावल के
निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। परिणामस्वरूप, कीमतें भी बढ़ी हैं।
रोक के कारण कई देशों में खड़ा हो सकता है संकट
भारत पूरे विश्व में 40% चावल का निर्यात करती है यदि ऐसा नहीं होगा, तब कई देशों में संकट आ सकता है। सूत्र के मुताबिक कंबोडिया , भारत, थाईलैंड, वियतनाम, और पाकिस्तान चावल के
प्रमुख निर्यातकों में से हैं। जबकि इसके अनुरूप चीन, फिलीपींस, बेनिन, सेनेगल, नाइजीरिया और मलेशिया प्रमुख आयातक हैं।
चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी कितनी
जैसा कि आप भारत सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी जिसका मुख्य कारण चावल की आपूर्ति होना है जिसके कारण भारत सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। आपको
बता दे कि विश्व में भारत से चावल का 40 %निर्यात किया जाता है।
भारत के चावल इंपोर्ट का आंकड़ा
ज्ञान के लिए बता दे कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लगभग 15.54 लाख टन सफेद चावल भेजा गया, जो पिछले वर्ष 11.55 लाख टन से अधिक है, जो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में
निर्यात में 35% की वृद्धि दर्शाता है। 2022-23 में, भारत का गैर-बासमती सफेद चावल का कुल निर्यात 4.2 मिलियन डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था।
पिछले वर्ष यह 2.62 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। भारत द्वारा निर्यात किया जाने वाला अधिकांश गैर-बासमती सफेद चावल थाईलैंड, इटली, स्पेन, श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका को है। देश से कुल चावल निर्यात में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25% है।